एक के पास काम न धाम, फोकट में दाम
राजनांदगांव/MyNews प्रतिनिधि- छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव एक ऐेसा जिला है जहां दो-दो डीईओ पदस्थ है। एक फूल फ्लेश है, तो दूसरा पावरलेस..! मजेदार बात… जिसके पास पावर है उनके पास न तो विभाग की सरकारी गाड़ी है और न ही चेंबर यानी कार्यालय और हां जिसके पास कोई पावर नहीं है वह विभाग की सरकारी गाड़ी में कब्जा कर रखा है और यहीं नहीं उसने डीईओ आफिस में ताला भी जड़ रखा है।ऐसी व्यवस्था पर छत्तीसगढ़ शासन की खामोश का राज तो सरकार ही बताएगी पर राजनांदगांव जिले में दो-दो डीईओ के पदस्थ होने से यह साफ हो गया है कि डीईओ की पदस्थापना को लेकर शासन और प्रशासन ने नियम-कायदों में कहीं न कहीं चूक की है नतीजतन किसी एक की ठोस पदस्थापना संबंधी निर्देशोंं में सरकार के भी हाथ बंध गए हैं? कुल मिलाकर एक डीईओ तो सरकारी कामकाज के एवज में तनखा ले रहा है पर दूसरा डीईओ फोकट में सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपए का ‘चंदन’ लगा रहा है। दरअसल बात कुछ ऐसी है कि छग शासन द्वारा यहां डीईओ के पद पर हेमंत उपाध्याय की पदस्थापना की गई थी। कुछ दिनों बाद उनका स्थानांतरण कर दिया गया और उनके स्थान पर एचआर सोम की पदस्थापना आदेश जारी कर दिया गया है। अपनी पदस्थापना को चुनौती देते हुए उपाध्याय हाईकोर्ट से स्टे ले आए।इसके बाद से यहां जिला शिक्षा विभाग में कुर्सी की लड़ाई चल रही है। उपाध्याय ने खुद को जिला शिक्षाधिकारी बताते हुए कार्यालय में ताला जड़ दिया है वहीं विभाग की सरकारी गाड़ी को भी अपने पास रख लिया है।इधर अपनी पदस्थापना पर अडिग़ एचआर सोम ने नई कार्यालयीन व्यवस्था संचालित करते हुए सहायक संचालक के चेंबर को डीईओ चेंबर में तब्दील कर रखा है। विभागीय कामकाज के लिए उनके द्वारा राजीव गांधी शिक्षा मिशन की सरकारी गाड़ी का उपयोग किया जा रहा है।
सत्ता-सरकार का लुुंजपूज रवैय्या
राजनांदगांव जिला शिक्षा विभाग का काम तो किसी तरह चल रहा है पर यहां कुर्सी की लड़ाई के चलते विभागीय कर्मियों के बीच भी जबददस्त खींचतान की स्थिति है। ऐसे मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के किसी ठोस निर्णय नहीं होने से सरकार का लुंजपुंज प्रशासनिक रवैय्या तो सामने आ ही रहा है बल्कि सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। कहा जा रहा है कि सोम की स्थिति ‘होम’ करे हाथ जले जैसी है क्योंकि उन्होने तनतना कर माननीय हाईकोर्ट से स्टे तो ले आया है पर यहां छग शासन की ओर से उन्हे कोई स्पष्ट आदेश नहीं मिल पा रहा है।
उपर में लगती है कि डीईओ की बोली
सूत्रों की मानें तो सत्ता सरकार में मनचाहे जिलों में पदस्थापना को लेकर उपर स्तर पर जमकर बोली लगती है। जो बोली में फिट बैठ जाता है कि उनकी पसंदीदा जगहों में पोस्टिंग कर दी जाती है। यहां सोम और उपाध्याय की पदस्थापना ऐसी ही कुछ कहानियों का हिस्सा माना रहा है। विभागीय छवि के मामले में दोनों के दामन दागदार रहे हैं।उपाध्याय की तो विभागीय जांच चली है। बताया जाता है कि राजनांदगांव जिले में दो-दो डीईओ होने से शिक्षा विभाग के ‘गिरोहों’ के भी हाथ पांव बंध गए है वरना सप्लाई से लेकर खरीदी और अन्य इंकम के मामलों में उनके दोनों हाथ घी में होते थे?
MyNews36 प्रतिनिधि पूरन साहू की रिपोर्ट