
पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अब लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है।अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में कंपनियां लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं।संक्रमण रोकने के लिए के दुनिया के अलग-अलग शहरों में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से लोगों की नौकरियां खत्म हो रही हैं।
आपको बता दें कि एक विदेशी वेबसाइट के मुताबिक कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अकेले अमेरिका में अब तक 1.68 करोड़ लोगों बेरोजगार हो गए हैं।कोरोना वायरस ने दुनियाभर में करोड़ों लोगों को बेरोजगार (Unemployed) कर दिया है।इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है,जिसका असर अब लोगों की नौकरियों पर दिखने लगा है।हालांकि,कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मुश्किल भरे इस दौर में हार मानने के बजाए उससे लड़ने में लगे हैं।ऐसे ही कुछ लोगों के हौसलों की कहानी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं,जिन्हें पढ़कर आप भी इनके मुरीद हो जाएंगे।
इस्रायली प्रोग्रामर
इस्रायल में जब कोरोना वायरस फैलने लगा तो यहां एक आईटी कंपनी में काम करने वाले प्रोग्रामर इटमार लेव को घर से काम करने के लिए कहा गया।इसके बाद कंपनी ने 20 फीसदी सैलरी कटौती का आदेश दिया।लेव अभी समझ पाते कि कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। लेव बताते हैं कि उनकी पत्नी डांस टीचर हैं जिनकी सैलरी घर की जरूरी देखरेख में ही खत्म हो जाती है।44 साल के लेव की पांच साल की एक बेटी है।लेव इन दिनों इंटरव्यू की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो एक नई नौकरी पा लेंगे।हालांकि, वह मानते हैं कि यह एक मुश्किल घड़ी है, लेकिन वे इसका सामना करने के लिए तैयार हैं।
थाई शेफ
वन्नपा कोटाबिन उन दिनों को याद करती हैं, जब बैंकाक के सबसे लंबे इतालवी रेस्तरां में उन्हें असिस्टेंट शेफ की नौकरी मिली थी। वह बताती हैं कि यह किसी सपने के पूरा होने जैसा था। लेकिन पांच साल बाद अब वह उन 100 से ज्यादा लोगों में शामिल हैं, जिनकी नौकरी चली गई। दरअसल यहां सरकार की तरफ से लागू लॉकडाउन के चलते सभी रेस्तरां बंद हो गए।ऐसे में 38 साल की कोटाबिन अपने सेविंग से घर चला रहीं थी।लेकिन जब बंदी हटी तो पता चला कि रेस्तरां अब हमेशा के लिए बंद हो गया है।
वन्नपा ने कहा कि यह उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था।उनका दिल दोबारा टूट चुका था।वह कहती हैं कि अब वो दूसरी जगहों पर काम तलाश रही हैं।वो कम पैसों में भी काम करने के लिए तैयार हैं।वह यह भी कहती हैं कि वो कोई भी काम करने के लिए तैयार है, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारेंगी।वन्नपा का कहना है कि अगर उन्हें नौकरी नहीं मिलती है तो वह वापस अपने गृह निवास चली जाएंगी और परिवार के पुराने बिजनेस में काम करने लगेंगी।
केन्याई सफाईकर्मी
नैरोबी में मदर टेरेसा चैरिटी संस्थान में 15 सालों तक बतौर सफाईकर्मी काम करने वाली 54 साल की अवीनो इन दिनों बेरोजगार हैं। उनकी चार बेटियां हैं, जिसमें एक को मिरगी की बीमारी है। अवीनो ने अपनी पति को नौ सालों से नहीं देखा है। एक बेटी के इलाज और बाकी बेटियों की देखरेख उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि, उन्होंने हार मानने के बजाए सड़क किनारे खाना बनाने का काम शुरू किया है। वह बताती हैं कि कई बार उनकी कमाई पुरानी नौकरी के मुकाबले ज्यादा हो जाती है। हालांकि, यह एक चुनौती भरा काम है।
भारत में भी रोजगार जाने की आशंका
कोरोना के बढ़ते प्रकोप और उससे निपटने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन के कारण भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों लोगों के प्रभावित होने की आशंका है,इससे उनकी नौकरियों और कमाई पर बुरा असर पड़ सकता है।अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक रिपोर्ट के मुताबिक,कोरोनावायरस असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोगों को और गरीबी में धकेल देगा।
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