शादी हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, और अक्सर देखा जाता है कि बेटी के माता-पिता उसकी शादी के बाद उसकी स्थिति बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं ताकि उसकी ससुराल में किसी प्रकार की परेशानी न हो। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि ससुराल पक्ष की हर मांग को पूरा किया जाए। यह कदम पूरी तरह गलत है। इसी संदर्भ में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता, भले ही उसने उस संपत्ति को खरीदने या बनाने में आर्थिक मदद की हो।
ससुर की संपत्ति में दामाद का हक?
ससुर की संपत्ति में दामाद का कानूनी हक तभी हो सकता है जब ससुर अपनी संपत्ति को दामाद के नाम हस्तांतरित कर दे। अगर ऐसा होता है, तो संपत्ति कानूनी रूप से दामाद की हो जाती है, और ससुर का उस पर कोई अधिकार नहीं रहता। हालांकि, अगर यह हस्तांतरण धोखाधड़ी या जबरदस्ती से किया गया हो, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
पत्नी के मामले में भी इसी तरह का नियम लागू होता है। पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है। अगर पति की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को वही हिस्सा मिलता है जो उसके पति का होता। अगर पति के बाद सास-ससुर का भी निधन हो जाता है और उन्होंने अपनी संपत्ति किसी अन्य के नाम वसीयत न की हो, तो पत्नी को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है।
केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
केरल हाई कोर्ट ने इसी तरह के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दामाद का ससुर की संपत्ति या भवन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ने कन्नूर के तालीपरंबा के डेविस राफेल द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। राफेल ने निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसमें उनके ससुर हेनरी थॉमस की संपत्ति पर उनके दावे को खारिज कर दिया गया था।
इस मामले में अदालत ने कहा कि पत्नी का भी ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है। अगर पति की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को केवल वही हिस्सा मिलता है, जो पति का होता था। यदि सास-ससुर का निधन हो जाता है और उन्होंने संपत्ति किसी अन्य के नाम वसीयत न की हो, तो पत्नी को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है।
संपत्ति विवाद का पूरा मामला
इस मामले में ससुर ने ट्रायल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन्होंने अपने दामाद डेविस के खिलाफ अस्थाई निषेधाज्ञा की मांग की थी। ससुर का आरोप था कि डेविस उनकी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रहा है और उनके शांतिपूर्ण कब्जे में दखल दे रहा है। हेनरी ने दावा किया कि यह संपत्ति उन्हें चर्च से उपहार में मिली थी और उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से मकान बनाया, जिसमें वे अपने परिवार के साथ रह रहे थे। उन्होंने तर्क दिया कि उनके दामाद का संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
दूसरी ओर, डेविस ने दावा किया कि चूंकि उन्होंने हेनरी की इकलौती बेटी से शादी की है, इसलिए उन्हें उस घर में रहने का अधिकार है। निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया था कि दामाद का ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी हक नहीं होता है। हाई कोर्ट ने भी इसी को बरकरार रखते हुए डेविस की अपील को खारिज कर दिया।