आरंग MyNews36- धार्मिक नगरी के नाम से सुविख्यात नगर आरंग शिवालयों की नगरी के नाम से भी विख्यात है।यहां नगर के चारों दिशाओं में अनेक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है।जिसमें बाबा बागेश्वर, भुवनेश्वर, कुमारेश्वर,ज्ञानेश्वर, पंचमुखी महादेव,रानी सागर तालाब किनारे स्थित त्रिलोकी महादेव,भूरेश्वर,जोबेश्वर, झंझनेश्वर,जलेश्वर, नटकेश्वर,वटेश्वर,उमा महेश्वर,भूरेबाबा, इत्यादि शिवलिंग प्रमुख है। जिनमें सबसे विशाल शिवलिंग ब्राह्मण पारा स्थापित भुनेश्वर महादेव है।
कहा जाता है प्राचीन काल में यहां 107 शिवलिंग था एक शिवलिंग कम होने के कारण इस नगर को कांशी का दर्जा नहीं मिल पाया।यह किंवदंति बरबस ही लोगों के जुबान में सुनने को मिलती है।
इनके अतिरिक्त भी नगर में कुछ लोगों के निवास पर भी प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग विद्यमान है। जिन्हें नगर के बहुत कम लोग ही जानते हैं।
बरगद पीपल व जल में प्रगट हुआ है एक एक शिवलिंग

पंचमुखी महादेव के एक स्वयंभू शिवलिंग पीपल के जड़ से,एक शिवलिंग नवा तालाब किनारे मुक्तिधाम के पास बरगद के जड़ से तथा एक शिवलिंग नकटी तालाब में डूबा हुआ है।जिनका दर्शन केवल गर्मी के दिनों में ही होता है।जो जनमानस के लिए आकर्षण व आस्था का केंद्र है।
प्रतिदिन महाकाल की तरह किया जाता है श्रृंगार
नगर के बागेश्वर, ज्ञानेश्वर,कुमारेश्वर, भुवनेश्वर, उमामहेश्वर,जोबेश्वर इत्यादि शिवलिंगों को श्रद्धालुओं द्वारा उज्जैन के महाकाल की तरह अलग-अलग तरह से अद्भुत श्रृंगार कर सोशल मीडिया में डाला जाता है।जिनका प्रतिदिन देशभर के लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं। अपने स्टेटस में लगाते हैं।
श्रावण व महाशिवरात्रि पर उमड़ती है भीड़
वैसे तो वर्ष भर शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है। किंतु श्रावण व महाशिवरात्रि में नगर के चारों दिशाओं में विराजित शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।नगर सहित अंचल व अन्य जिलों व राज्यों से भी शिवभक्त पहुंचकर शिवालयों में विशेष पूजा आराधना कर भगवान शिव से कामना करते हैं।जगह जगह जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक व विशेष मंत्रोंच्चार व विधि विधान से पूजा आराधना किया जाता है।पूरा नगर शिवमय हो जाता है। पूरा नगर ऊं नमः शिवाय के उच्चारण से गुंजने लगता है।

वही चरौदा में पदस्थ शिक्षक महेन्द्र पटेल ने बताया उन्होंने वर्तमान में नगर के प्रायः सभी शिवलिंगों के बारे में अध्ययन कर जानकारी संकलित किए हैं। वर्तमान में 50/52 प्राचीन शिवलिंग ही नगर के चारों दिशाओं में विद्यमान है। वही कुछ प्राचीन शिवलिंग आसपास के गांवों में स्थापित है। नगर के एक प्राचीन शिवलिंग का केवल जलहरी ही शेष है।शिवलिंग नहीं है। अधिकांश शिवलिंग तालाबों के किनारे विद्यमान है। जहां श्रद्धालुगण प्रतिदिन जलाभिषेक कर पूजा आराधना करते हैं।तो वही नगर के अनेक शिवलिंग खुले में ही विराजमान हैं।

जिसे घुमंतू जानवर पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहे हैं।वर्षो से धूप बरसात में रखे होने के कारण शिवलिंग क्षरण हो रहा है।इन शिवलिंगो की शीघ्र जीर्णोद्धार व संरक्षण की आवश्यकता है।
नगर के शिवलिंगो का आकार अलग अलग है। कुछ छोटे तो कुछ बड़े आकार का है। कुछ गोलाकार है तो कुछ अष्टकोणीय।जिनमें से कुछ शिवलिंग खंडित अवस्था में है।सभी शिवलिंग प्राचीन विधान अनुसार निर्मित है। इतिहास के जानकारों के अनुसार प्राचीन काल में शिवलिंग
निर्माण का एक अलग ही विधान था। जिसके तहत ही शिवलिंगों का निर्माण किया जाता था। यहां के अधिकांश शिवलिंगों के ऊपरी भाग गोलाकार बीच का भाग अष्टकोणीय तथा नीचे का भाग चतुष्कोण है।जो शिव विष्णु ब्रह्मा का रूप माना जाता है। पंचमुखी महादेव का एक शिवलिंग ऐसा है जिसका ऊपरी भाग सोलह कोणीय है।जानकारो के अनुसार प्राचीन काल में ऐसे शिवलिंगों का तांत्रिक लोग विशेष पूजा आराधना करते थे।
बागेश्वर में हुई थी भगवान राम का आगमन
सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डाक्टर अरूण शर्मा व इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र का कहना है बाबा बागेश्वर में भगवान राम का आगमन हुआ था।
यह नगर चंदखुरी, राजिम व सिरपुर के बीच में है। इसलिए इस नगर की कड़ी इन सभी धार्मिक पुरातात्विक स्थलों से जुड़ता है।चंदखुरी की तरह आरंग को भी
रामवनगमन पथ के रूप में विकसित करने से आरंंग को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।