शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के बुढ़ापे का सहारा बने हैं, कौन हैं? जानिए उनकी पूरी कहानी

पूर्व टाटा ग्रुप चेयरमैन रतन टाटा, जो अब हमारे बीच नहीं हैं, ने बुधवार रात चौच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके जीवन के अंतिम वर्षों में उनके साथ अक्सर एक दुबला-पतला युवक देखा जाता था, जिसे रतन टाटा अक्सर सलाह-मशविरा के लिए बुलाते थे। वह युवक शांतनु नायडू हैं, जो रतन टाटा के असिस्टेंट थे। 31 वर्षीय शांतनु के साथ रतन टाटा का खास जुड़ाव था, हालांकि उनका कोई पारिवारिक संबंध नहीं था।

शांतनु नायडू की प्रसिद्धि शांतनु नायडू एक व्यवसायी इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी के रूप में काफी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने व्यवसाय की दुनिया में एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जो कई लोगों के लिए एक सपना होता है। यही कारण था कि रतन टाटा ने अपने अंतिम दिनों में उन्हें अपना साथी बनाया।

टाटा ट्रस्ट में भूमिका शांतनु जून 2007 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं, और उन्होंने टाटा एलेक्सी में भी बतौर डिजाइन इंजीनियर काम किया है। एक बार उन्होंने सोशल मीडिया पर मुंबई की सड़कों पर आवारा कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टर डॉग कॉलर बनाने की अपनी पहल के बारे में लिखा था, जिससे ड्राइवर उन्हें दूर से देख सकें। इस पोस्ट से प्रभावित होकर रतन टाटा ने उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया, और तभी से दोनों का जुड़ाव शुरू हुआ।

अंतिम यात्रा में सबसे आगे प्रख्यात गीतकार गुलजार ने अपने X हैंडल पर पोस्ट करते हुए बताया कि रतन टाटा की अंतिम यात्रा में शांतनु नायडू सबसे आगे बाइक चला रहे थे। गुलजार ने लिखा कि देश को शांतनु पर गर्व है, और उन्होंने शांतनु की सेवा, सहजता और सरलता की प्रशंसा की। रतन टाटा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

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