पुराने वाहनों का फिर से रजिस्ट्रेशन कराना हुआ महंगा,केंद्र सरकार करने जा रही है फिटनेस सर्टिफिकेशन फीस में बढ़ोतरी

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति का एलान किया है। जिसके तहत 20 साल तक पुराने और अनफिट वाहनों को कबाड़ में बदला जा सकेगा। वहीं सरकार पुराने वाहनों पर सड़क पर चलने से रोकने के लिए निजी वाहनों के रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण और कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेशन फीस में बढ़ोतरी कर सकती है।
शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव वाहन कबाड़ नीति का ही हिस्सा है, जिसे इस साल 2020 के बजट में एलान किया गया है। सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुराने वाहनों को सड़क से हटाने के लिए स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति का एलान किया था। वित्त मंत्री का कहना था कि इस कदम से फ्यूल एफिशियंट, पर्यावरण के अनुकूल वाहनों को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी, जिससे वाहनों के प्रदूषण और तेल आयात बिल में कमी आएगी।
वित्त मंत्री के मुताबिक स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति को लेकर देश का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय जल्द ही गाइडलाइन जारी करेगा। वाहन कबाड़ नीति के तहत 20 साल पुराने निजी और 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन स्वचलित केंद्रों में फिटनेस के लिए गुजरना होगा। सूत्रों का कहना है कि री-रजिस्ट्रेशन और फिटनेस सर्टिफिकेशन फीस में बढ़ोतरी निजी और व्यावसायिक वाहनों के लिए लागू होगी। वहीं यह बढ़ोतरी हर कैटेगरी के वाहनों के लिए अलग-अलग होगी। मीडियम से हैवी कमर्शियल व्हीकल्स को ज्यादा बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल सरकार में अलग-अलग स्लैब बनाने को लेकर मंथन जारी है।
नई वाहन कबाड़ नीति के मुताबिक 15 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों (कमर्शियल व्हीकल) को स्क्रैप किया जाएगा यानी उन्हें सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं होगी। जबकि निजी वाहन (पर्सनल व्हीकल) के लिए इस अवधि को 20 वर्ष तय किया गया है। यानी अब पुराने वाहनों को 20 साल बाद स्क्रैप किया जा सकेगा। ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर बनाए जाएंगे जहां इन वाहनों को ले जाना होगा। निजी वाहनों को 20 साल बाद और कमर्शियल वाहनों को 15 साल बाद इन ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर पर ले जाना होगा।
गौरतलब है कि जुलाई 2019 में वाहन कबाड़ नीति को शामिल करने को लेकर मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया था। इसके तहत पुराने वाहनों को सड़क से हटाने और नए सुरक्षित और कम प्रदूषण पैदा करने वाले वाहनों के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति बनाई गई थी।