
बिलासपुर- 10 अगस्त 2003 की सुबह 10 बजे की बात है बिलासपुर के राजेन्द्र नगर स्कूल में सूत सारथी समाज छ.ग प्रदेश का महासम्मेलन का पंडाल लगा हुआ था झमाझम बारिश हो रही थी तत्कालिक मुख्यमंत्री अजीत जोगी का हेलीकॉप्टर रायपुर से टेकअप हो गया था,मुसलाधर बारिश के कारण पूरा पंडाल खाली था तत्कालिक बिलासपुर कलेक्टर आर.पी.मंडल और जिला एसपी कल्लूरी के सामने खड़ा मैं थरथर कांप रहा था,वे बोल रहे थे जोगी जी 2003 विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान की शुरुवात तुम्हारे सभा से सोशल इंजीनियरिंग से करेंगे और तुम्हारे समाज के लोग गायब है,मुझे जवाब देते नही बन रहा था वैसे उम्मीद था कि-बारिश रुकते ही लोग आएंगे और हमारा सम्मेलन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मुख्य आतिथ्य में अच्छे से सम्पन्न होगा।
ऐसे समय में मुझे राजू कश्यप जो तत्कालिक राज्यसभा रामाधार के सुपुत्र थे ने ढाढस बधाया बोले जोगी जी चमत्कारिक नेता है देखना उनका हेलीकॉप्टर बिलासपुर मे लेंड करते ही बारिश रुकने के साथ सम्मेलन में शामिल होने वाले लोगों का भी आना हो जायेगा।हुआ भी वही हमें जैसे ही एसईसीएल हेलीपैड में हेलीकॉप्टर लैंड करने की खबर लगा बारिश थम गया और हमारे सूत सारथी समाज के लोग आसपास के गांवों से 60-70 बसों में सवार एक साथ आ गए मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा,अभी तक कलेक्टर मंडल साहब और एसपी कल्लूरी साहब के सामने काँपने वाला शरीर अचानक अकड़ कर छाती फूल गया और उनसे मैंने कहा जगह दीजिए कार्यक्रम का संचालन करना है वे दोनों मुस्कुरा दिए शायद वे भी संतुष्ट हो गए थे।
हमारे महासम्मेलन के अतिथि अजीत जोगी जी हमसे किये वादे के मुताबित नेहरू चौक से सफेद रंग के ऊंचे पूरे घोड़े में बैठकर सरपट दौड़ाते पंडाल में प्रवेश किये पूरा बिलासपुर प्रशासन और उनके मंत्री विधायक,संसद,और कार्यकर्ताओं का पूरा फौज उनके घोड़े के पीछे-पीछे दौड़ते आये।
कार्यक्रम का संचालन मैं ही कर रहा था जैसे ही मैने हमारे सूत सारथी समाज के राष्ट्रपति पुरस्कृत साहित्यकार,चित्रकार,लेखक सम्मानीय गेंदराम सागरजी को आमंत्रित किया और उनके द्वारा जोगी जी पर रचित रचना का काव्य पाठ किया गया जोगी जी कुर्सी से खड़े होकर सागर जी को गले लगा लिए और धन्यवाद देते हुए कविता की वो कॉपी मांगकर अपने पास रख लिए।
अब एक बार फिर माईक थामकर समाज वालो के बीच भरी सभा मे यह प्रस्ताव रखा कि सूतसारथी समाज का मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी को आजीवन संरक्षक घोषित किया जाए जिसे स्वयं जोगी जी ने अपनी पूर्ण स्वीकृति देते हुए स्वीकार कर हमारे समाज के लिए ऐतिहासिक ऐलान किया कि वे आजीवन सूत सारथी समाज के संरक्षक के रूप में कटिबद्ध रहेंगे जो मेरे समाज के साथ मेरे लिए सुखद पल रहा जब जोगी जी चुरकी में रखे चना मुर्रा खा रहे थे तो मैंने उनके करीब गया और पूछा साहब आपका व्यक्तव्य होना है तो वे बोले थोड़ा रुक जा चना मुर्रा खा लू मैं स्तब्ध था क्योंकि हम लोगो ने चुरकी में चना मुर्रा के साथ ट्रे में काजू बर्फी काजू किसमिस और बहुत से सूखा मेवा रखा हुआ था,जिसे वे हाथ भी नही लगाए।
इतना सरल छत्तीसगढ़ीया रूप मे उन्हें ताकता ही रह गया। खैर मेरे आग्रह पर की आप आने व्यस्ततम समय में ज्यादा से ज्यादा हमारे लोगो को आशीर्वचन देवे उन्होंने अपने अथाह ज्ञान के भंडार से हमे अनुग्रहित किया और जाते जाते मुझसे बोले अच्छे वक्ता हो क्या करते हो मैने बोला प्राइवेट काम करता हूँ तो उनके बोल थे इस चुनाव के बाद जब मै दोबारा मुख्यमंत्री बन जाऊंगा जरूर मिलना तुम्हे अच्छी जगह देखना चाहूंगा मैने भी श्रद्धा से उनका चरण स्पर्श कर हां में सर हिला दिया पर मेरा दुर्भाग्य की वे दोबारा मुख्यमंत्री नही बने और मैं अशाषित जगह को नही पा सका पर भी यह घटना मेरे लिए बहुत बड़ी यादगार पल रहा जिसे मैसे पन्नो पर उधृत कर रहा हूँ।जोगी जी आप हम सबके के लिए सदा अमर रहेंगे।