
कोंडागाँव/Mynews36 प्रतिनिधी- बस्तर प्रकृति की गोद में बसा एक हरित धरती है,जहां कभी बंदूक की धमक तो कभी बारूद की गंध,वहीं बीहड़ से निकलने वाले कलमकारों की कलम में पावन मिट्टी की सौंधी खुशबू की महक के साथ प्रकृति की चहक भी परिलक्षित होने लगी है। एक दौर था जब बस्तर और बस्तर की जनजाति पर लिखने वाले लोग या तो एसी वाले होते थे या फिर विदेशी वाले होते थे। पर आजादी के अरसे बाद बस्तर की भूमि से साहित्य करवट लेता नजर आ रहा है | वैसे तो बस्तर साहित्य का गढ़ रहा है,कई बड़े नामी साहित्यकार बस्तर से ही हैं,पर बिडंबना यही रही कि वो या तो बड़े शहरों में बस गये या फिर उन्हें वो तवज्जो नहीं मिली जिसके वो हकदार थे। अपनी सहज और सरल शालीन जीवन शैली बस्तर के साहित्यकारों कलमकारों में भी होती है,यह सच भी तो है कि साहित्यकार जो लिखता है बहुत कुछ जीता भी है। हालिया वर्षों में बस्तर के युवा चेहरों ने देश दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है,जिनमें युवा कलमकार मुस्कुराता बस्तर का नाम बस्तर के स्थापित कलमकारों में प्रमुखता से लिया जाता है।
बस्तर में अब साहित्य के प्रति रूझान बढ़ने लगा है,किसान मजदूर गांव के युवा भी कलम चलाने लगे हैं | अब साहित्यिक कार्यक्रम होने लगे हैं,एक आम बस्तरिया भी कलम का क और किसानी का क साथ-साथ करने लगा है। बस्तर अब बोलने और चलने भी लगा है। बस्तर के नवोदित रचनाकारों की प्रतिभा को आगे लाने के उद्देश्य से यहां कई वर्षों से युवा कलमकार संघर्षरत है। परिणिति कलमकारों को मंच देने के लिये गठित ‘बस्तर के युवा कलमकार’ मंच पर रविवार को ऑनलाइन काव्य संध्या “सरगीफूल” का आयोजन किया गया। हिंदी के साथ ही हल्बी, गोंडी,भतरी, छत्तीसगढ़ी की रचना भी अत्यंत सराही गई। ‘सरगीफूल’ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नामी हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर श्री उमेश मण्डावी थे। क्रिएटिव मांइड इंटरनेशनल व बस्तर के युवा कलमकार समूह के संस्थापक चर्चित हल्बी के सशक्त हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन ‘मुस्कुराता बस्तर’ के दिशा निर्देश में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। डॉ. गीतिका श्रेयांश तिवारी समीक्षक के रूप में उपस्थित रहीं। साथ ही प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद चंद्रवंशी उर्फ कवि सोरू ने भी मंच पर हौसला अफजाई की।
‘सरगीफूल’ कार्यक्रम की शुरुआत चौराहों का शहर जगदलपुर के सुश्री चमेली कुर्रे सुवासिता की सरस्वती वंदना से हुई। जिन्होंने अपने मधुर गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। यह पहली दफा है जहां बस्तर अंचल के विभिन्न क्षेत्रों से कलमकारों ने भाग लिया। कोण्डागाँव के विश्वनाथ देवांगन (मुस्कुराता बस्तर) ने मंच के उद्देश्य व साहित्य की आवश्यकता पर केन्द्रित अपना सम्बोधन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कलमकार ही बस्तर की छबि निखार सकता है। अब बस्तर बोलने लगा है,सुंदर और प्रकृति पूजक बस्तर,हमेशा ही देता आया है देश दुनिया को यहां साहित्य के विस्तार की आवश्यकता है। कोण्डागाँव के लोकप्रिय साहित्यकार श्रवण मानिकपुरी ने हल्बी में सियान के गोठ से सम्बंधित मधुर कंठ में काव्य पाठ कर मंच का दिल जीत लिया। कोण्डागाँव के पुरूषोत्तम पोयाम ने ‘वक़्त’ शीर्षक से अपनी दमदार कविता प्रस्तुत की। कांकेर से मशहूर उद्घोषिका और कवयित्री किरण सोम की लाजवाब प्रस्तुति ने चार चाँद लगा दिए।
नारायणपुर से कवयित्री लक्ष्मीप्रिया देवांगन जी ने “जाने क्या सोचकर ईश्वर ने बनाई दो आँखें” कविता का सस्वर पाठ किया। कोण्डागाँव की कवयित्री गिरिजा निषाद ने छत्तीसगढ़ी रचना के साथ ही केरल की घटना पर मर्मस्पर्शी कविता प्रस्तुत की। जगदलपुर की कवयित्री चमेली कुर्रे ‘सुवासिता’ ने कुंडलिनी छंद पर आधारित सुमधुर काव्य पाठ कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके उपरांत कोण्डागाँव के लोकप्रिय साहित्यकार दिनेश कुमार विश्वकर्मा ने नदी शीर्षक से अपनी कविता प्रस्तुत कर वाहवाही हांसिल की। कोण्डागाँव से कवि ओमप्रकाश पांडे जी ने छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत की मर्दापाल से कवि नरेन्द्र कुमार बघेल जी ने कविता में कोरोना के बहाने मानवीय भूल का अहसास कराया साथ ही वृक्ष लगाकर भूल सुधारने का आव्हान किया।कोण्डागाँव से गणेश मानिकपुरी जी ने “इस्कुल पढूंक इया” शीर्षक से हल्बी रचना पेश कर शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।जशपुर से कवयित्री गीता चौहान का बस्तर प्रेम ने ही कार्यक्रम में सहभागिता देने के लिये मजबूर कर दिया,गीता चौहान ने पितृ दिवस पर पिता के संदर्भ में काव्य पाठ कर भाव विभोर कर दिया। कांकेर से कवि सोरू के नाम से मशहूर प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद नागवंशी ने प्रकृति के श्रृंगार पर बेजोड़ शब्द संयोजन से सुंदर प्रस्तुति दी साथ ही वह कलमकारों का उत्साह वर्धन करते रहे। कोण्डागाँव के चर्चित हास्य व्यंग्यकार उमेश मंडावी ने अपनी चिरपरिचित अंदाज में चर्चित व्यंग्य रचना ‘चुनाव’। जिसमें चुनाव के दौरान एक आम आदमी के जीवन पर रचित व्यथा कथा कि ऐसी उम्दा रचना पेश की जिसमें पूरे मंच का वातावरण हास्य के रंग में रंग गया। डॉ गीतिका श्रेयांश तिवारी जी ने भी “जैसे मैं निकला था घर से” शब्दों के साथ अपनी सशक्त रचना पेश की,जिसे जबरदस्त सराही गयी।
‘सरगीफूल’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से चर्चित हास्य व्यंग्यकार उमेश मंडावी ने कहा कि यह पहला मौका है, जब बस्तर का युवा कलमकार किसी मंच पर साहित्य को लेकर कार्यक्रम कर रहा है। मुझे खुशी है कि मैं ऐसे कार्यक्रम का मुख्य अतिथि हूं जहां जनजातीय सरोकारों के लिये जूझने वाले साहित्यकार अपनी कलम से देश दुनिया को बस्तर साहित्य के बारे में बताने के लिये संकल्पित हैं। कार्यक्रम की शुभकामनायें व आज की आवश्यकता के लिये आह्वान करता हूं कि बस्तर में साहित्य का विस्तार हो जिससे बस्तर की छबि बाहर बदले, बदलना यहीं से शुरूवात हो,जहां बस्तरिया से बस्तर की बात हो। ‘सरगीफूल’ कार्यक्रम का संचालन चर्चित द्वय दिनेश कुमार विश्वकर्मा एवं श्रवण मानिकपुरी जी ने किया व स्वरचित शेरों शायरियों से महफिल का समां बांधे रखा। इस कार्यक्रम को काफी सराहना मिली। कार्यक्रम को बस्तर की चर्चित लोकगायिका व साहित्यकार देशवती कौशिक ने भी संबोधन कर सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। बदरू पोयाम, केशर पुजारी, गौतम साहू, बस्तर संभाग के कलमकारों के साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचल से श्रोता के रूप में जुड़े साहित्यकारों का योगदान रहा।
Mynews36 प्रतिनिधी राजीव गुप्ता की रिपोर्ट